विनीता जी की कविता पढ़ना - सुनना वाग्देवी की मानस-पुत्री से रूबरू होना है। सारस्वत यज्ञ है उनका काव्य-सृजन, जिसमें स्वर-समिधाएँ आनंद की दिव्य-गंध का प्रसारण करती हैं।
एक विशेषता का उल्लेख करना आवश्यक है जो हमारी प्राचीन काव्य-विधा की अनिवार्य शर्त है। काव्य का गेय होना, कविता का गीति-तत्व हमें प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद से जोड़ता है। वेद में जिस आदिम छन्द का सर्वाधिक प्रयोग है, उसे 'गायत्र’ कहा गया है- उक्त संहिता के अष्टम मंडल को गेय होने के कारण ही द्रष्टा ऋषि ने प्रगाध मंडल की संज्ञा दी है।
हिंदी साहित्य में एम .ए . डी .ए .वी .कालेज, देहरादून साहित्य ,संगीत ,पठन, लेखन में विशेष रुचि विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित देश विदेश में काव्य पाठ, दूरदर्शन से प्रसारण आथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ,म्यूज इंडिया.काम के कार्यक्रमों तथा विभिन्न साहित्यिक संस्थानों के आयोजनों में सक्रिय सहयोग ।
Read More